उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। रंगमंच के कलाकार को क्रांत दृष्टा होना चाहिए। जैसे महाकवि कालिदास थे। कलाकार के देखने-समझने का नजरिया जनसामान्य से अलग होता है। उसका जितना अच्छा आब्जर्वेशन होगा, वह उतना अच्छा मंच पर या परदे पर रिफ्लेक्ट करेगा। यह बात कालिदास समारोह में मंचित संस्कृत नाटक 'दीपशिखा' के निर्देशक सतीश दवे ने 'नईदुनिया' से चचाfrom Nai Dunia Hindi News - madhya-pradesh : ujjain https://ift.tt/33h9eiS
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